Friday, April 29, 2022

बुद्धत्व

बुद्धत्व क्या है
किसी का मन, वचन और कर्म से...
सरल
सहज
सजग
हो जाना.

Friday, November 12, 2021

सृष्टि

सृष्टि 
एक चक्र है 
जहां शुरु 
वहीं खत्म है,
और
जहाँ खत्म 
वही शुरू...

Sunday, September 26, 2021

वक़्त

वक्त गतिशील है, डायनामिक है. यह हम सब मानते हैं, जानते हैं. 
पर यह अपने घेरे में घूमने वाला सर्कुलर मोशन है या लीनियर (जो कभी वापस अपने बिंदु पर वापिस नहीं आएगा). 
मुझको तो सर्कुलर ही लगता है. यह बात अलग है कि, सर्किल कितना बड़ा है? 
"मगर ऐसा लगता है कि रिपीटेंस तो है."
वीर को फीवर है... सुनते ही मैं घर वापस आ गया था.
ताप अधिक होने पर यह लल्लू लाल अनर्गल सा बर्ताव करने लगता है. हमारा प्रयास होता है कि क्रोसिन और ठंडे पानी की पट्टियों से उसका फीवर ज्यादा ना बड़ने पाए.
देर रात उसके सर पर पट्टियां बदलते हुए मैं एक किरदार निभा रहा था. वही किरदार जो कुछ दसियों साल पहले मैंने डैडी को निभाते देखा और महसूस किया था. बस वीर की जगह मैं और मेरी हथेली की जगह  डैडी की हथेली थी.
उन्हीं दसियों साल पुराने शब्दों और एहसासों को, मैं अगली पीढ़ी को ट्रांसफर कर रहा था.

"पापा चिंता मत करो मैं ठीक हूं." वीर के इन शब्दों ने मुझे मेरी टाइम यात्रा से बाहर निकाला.
पता नहीं क्यों लोग टाइम मशीन को फिक्शन का भाग मानते हैं? मुझे तो लगता है यह हम सब के अंदर बाय डिफॉल्ट built-in है.
कल ही की तो बात लगती है जब सन 2009 के बसंत में गंगा राम हॉस्पिटल के अंदर डैडी की एंडोस्कोपी हो रही थी. अटेंडेंट में साइन मेरे थे. अभी कुछ दिनों पहले वीर की एंडोस्कोपी हुई और फिर अटेंडेंट वाले कॉलम में मेरे साईन थे. 
पहले पिता और अब बेटा, कभी-कभी तो लगता है कि वीर के नाम पर डैडी ही अपनी अधूरी जिंदगी जी रहे हैं...

Tuesday, May 18, 2021

JAWAHAR 18 JANUARY

दोस्तों में से एक दोस्त की फिजिकल प्रेजेंस कम हो गई। virtually तो वह कभी अलग हो ही नहीं सकता।
19 जनवरी 2020 संडे सुबह काम पर जाने के लिए तैयार हो रहा था। एक टांग पेंट में और दूसरी अंदर जाने की तैयारी में थी, कि फोन घन घना उठा. नजर पड़ी तो कपिल का था. अक्सर इतनी सुबह हम दोस्तों को एक-दूसरे को फोन करने की आदत नहीं है. निशाचर जो ठहरे. आधा अंदर और आधा बाहर वाली स्थिति में ही मोबाइल उठाया.
" मेहता,जवाहर नहीं रहा." कुछ मिनट्स का pause... दूसरी टांग पर ठंड अब ज्यादा महसूस होने लगी थी। पर हाथ थे कि चल ही नहीं रहे थे। यह कुछ चंद लम्हे कई सालों जैसे लंबे महसूस हो रहे थे।
"राजीव का फोन आया था।"
उसने बोला।
कपिल की आवाज किसी रोबोट जैसी संवेदनहीन लग रही थी। यतेंद्र को फोन किया तो उसकी शुरुआत हुई भैनचौ... कोई दोस्त ही ऐसा रिएक्शन दे सकता है। हरीश हमेशा की तरह हम सबसे ज्यादा संयत था। पॉल द ग्रेट हर्ट थे और मणिपुर से अपनी भावना इजहार कर रहे थे।
मुनीश से कोई संपर्क नहीं हो पा रहा था और लवलीन बिल्कुल ब्लैंक थी।
लगातार अपने अपने स्त्रोतों को खंगाला जा रहा था, जो लंदन से हमें सही सिचुएशन बता सके। ऑफिस जाने का मन और हिम्मत दोनों ही नहीं थे। हम सब cricess of recation से गुजर रहे थे। क्या react करें कैसे react करें कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। कोई गालियां दे रहा था, कोई हंस रहा था, कोई बिल्कुल सदमे में था, कोई बिलकुल  चुप तो कोई बहुत बड़बड़ा रहा था। कभी ऐसा भी होगा सोचा ही ना था।
एक दूसरे को दिन भर फोन इसलिए नहीं होते रहे कि कोई जरूरत थी, बल्कि एक दूसरे से बात करके ही हम खुद को समझाने की कोशिश कर रहे थे। दीपा (जवाहर की बहन) से बात करने की हिम्मत ही नहीं हो पा रही थी। राधाकृष्णन,अमिताभ, हिमांशु, प्रियंका इत्यादि इत्यादि सभी से अचानक ही कई सालों के बाद मैसेजिंग चालू हो गई... कड़ी जवाहर ही था।
फेसबुक अपडेट देखकर ऐसे कई फोन आने चालू हुए जिनको मैं जानता ही नहीं था, वह जवाहर के schoolmates या ऑफिस कलीग थे। यह जवाहर का व्यक्तित्व ही था कि जो उससे मिला, हमेशा के लिए उसी का हो गया। हम दोस्तों के बीच का अटल बिहारी यानी आजाद शत्रु था।

ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर की बात है- शायद फर्स्ट क्वार्टर की,

हम दोनों डीटीसी की U SPECIAL में थे मैंने पूछा यार कोर्स कैसा चल रहा है? तपाक से जवाब आया कि मैंने तो SYLLABUS पूरा भी कर लिया। एक गजब का CONFIDANCE था साले मे।
और वाकई जवाहर तूने लाइफ का सिलेबस सबसे पहले पूरा किया।
Kasturi Rangan Jawahar
K R Jawahar
02/10/1975 to 18/01/2020

Friday, January 15, 2021

ओस की बूँद

कह देना समन्दर से 
हम ओस के मोती हैं 
दरिया की तरह 
तुमसे मिलने नहीं आएंगे...!

ओस की बूंद से 
बोला समन्दर,

भाप बन जाओगे, 
फिर बरस कर 
मुझ तक ही आओगे।

Wednesday, December 9, 2020

दांव

कभी यूं भी आजमाओ नसीब को अपने 
कि दांव पर लगे हो नकाब सब अपने.

Sunday, September 27, 2020

आदमी

बड़ी अजीब 
कौम
है 
ये।
जानवर बोलो 
तो 
नाराज, 
शेर बोलो 
तो 
लाजवाब 
है
ये।