18 नवंबर 2010 दोपहर,ऑपरेशन थिएटर में एफएम चल रहा था. डॉ मालविका,डॉक्टर शिवानी, उनकी 2 असिस्टेंट,एक एनेस्थेटिक के अलावा टेबल पर मीतू और साथ में स्टूल पर में था।
मीतू के पेट में चीरा लगा कर डॉक्टर ने कुछ मांस की परतें और खोली। स्टील के अर्धचंद्राकार इक्विपमेंट को उस कट में फिट किया गया।
एक पानी से फूले हुए गुब्बारे नुमा थैली जो बाहर की तरफ निकल रही थी उसको चीरा लगाया...और चारों तरफ उस LIQID की छींटे उछल गई।
एक बड़े चम्मच नुमा(service spoon जैसा) उपकरण को cut के अंदर डाल कर कुछ खींचा जा रहा था... हल्के बालों सहित यह तुम्हारा सिर था जो मुझको सबसे पहले दिखा था।धीरे से तुम को बाहर निकाला तो सबसे पहले यह तुम्हारे रोने की आवाज थी जो मैने और मीतू ने सुनी थी। मीतू और तुम्हारे बीच जो अंबिलिकल कॉर्ड थी उसको काट कर तुमको अलग किया गया।
Umbilical cord से स्टेम सेल को अलग करके सुरक्षित रखने वाली कंपनी के नुमाइंदे के हाथ पूरी व्यवसायिक तेजी से चल रहे थे।
खून का लाल रंग सब तरफ था। डॉक्टर के हाथ पर टेबल पर जमीन पर, मगर पहली बार फैला हुआ खून भी सकून दे रहा था।
नर्स तुमको अपने हाथों में उठा कर साफ़ करने के लिए जाने लगी...अचानक मुङी और तुमको मेरे पास ले आई यह मैंने और मीतू ने तुम को पहली बार देखा था।
" मां-बाप,दादा-दादी,चाचू-चाची, नाना-नानी,मामा-मामी बुआ-फूफा सब एक झटके में पैदा हो गए थे।"
कहते हैं आज तुम्हारा जन्मदिन है।मुझको तो इन सब रिश्तो का जन्मदिन लगता है। प्रभु तुम्हें ऐसी प्रज्ञा से नवाजे कि तुम हमेशा रिश्तो की गर्माहट का आनंद लेते रहो स्वस्थ रहो मुस्कुराते रहो।
Saturday, May 30, 2020
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