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तू भी जानता है कि मैं कितना प्यार करता हूं और मैं भी जानता हूं. जताने की जरूरत है क्या ?मेरा गुस्सा मेरी डांट तेरे लिए मेरे प्यार का हिस्सा ही तो है. कच्ची मिट्टी, यह फटकार तेरे को गूंथने के लिए ही तो है तुझे सही आकार मिले यही चाहत है.
पिता के साथ एक थोड़ा फासला सा हुआ करता था. मां एक पुल हुआ करती थी. आज जितना कम्युनिकेशन नहीं हुआ करता था. हर नए दिन आई लव यू डैड या आई लव यू बेटा कहने का प्रचलन भी नहीं था. मगर यह एहसास हमेशा था कि मेरे पिता हमेशा मेरे साथ हैं.
आवाज ऊंची होते ही पेंट गीली होने की नौबत तक आ जाती थी. मगर आप हमेशा आदर्श थे.
शेव बनाते हुए ब्रश से फोम लगा देना..
साइकिल के अगले डंडे पर बैठाकर चलाते हुए गड्ढे पर बिल्कुल धीरे से निकालते हुए कहना कि लगी तो नहीं...
रात को सोते हुए माथे पर आपकी गरम हथेली का एहसास...
आज वीर की डांट लगाई है. डांट लगाने के बाद डैडी आपकी बहुत याद आई. आप कहते थे ना जब बाप बनेगा तब पता चलेगा...
4 comments:
Bhut khub... Mujhe b daddy aur papa ki yaad aa gai.. aur ye sach hai maa baap banne k baad hi hume apne maa baap ki baatein sahi mayne me samjh aati hai...
Parents are always the same no matter in which era we are born.the only change is the way of expression
Thanks
Very true
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